राह सही बना रहा हुँ

राह खत्म हो रही है,मै बना रहा हुँ।
 राह मेरी है,मै गलत हु लेकिन राह सही बना रहा हुँ।
लोग कह रहे है मुझे मै गलत हु लेकिन फिर भी राह सही बना रहा हु।
 कठिनाईयों के वजह से पीछे जा रहा हु,लेकिन फिर भी राह सही बना रहा हुँ ।
कमजोर बन रहा हुँ,कुछ पाने के लिए ,गलत बन रहा हुँ सही होने के लिए,इसलिए राह सही बना रहा हु।

                  गलत मत करिए,
      गलत हो जाये परंतु आप राह सही बनाए।।
       

                                                                 -अक्षत मिश्रा                   

Comments

  1. Ek number bhai
    एक दिन तू बहुत बड़ा आदमी बने गा
    और देश मैं आपन नाम रौशन करे गा
    और ऐसी कविता लिखते रहा और आपन नाम कामा

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  2. Bilkul sahi......
    Assehe chlte rh......

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  3. Wow👌👌👌bhaiya.....a motivational lines ....in above poem.....

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  4. बहुत खूब अक्षत।
    एक एक अक्षर में तुम्हारी गहरी सोच दिखाई दे रही।खूब आगे बढ़ो

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    1. Alot alot alot of thanks big brother
      May your blessing are always with me bhaiya thank you bhaiya

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