मेरी बातें

दुनिया को छोड़ रहा हूँ,एक युग से हटते जा रहा हूँ।
पत्थरों का टुकड़ा बन रहा हूँ,
मन मे उदासी जगह बना रही है,
हार कर भी अलग बन रहा हूँ,
कुछ करने की आशा ठान रहा हूँ,
आखिर नहीं पता क्या बातें चला रहा हूँ
संघर्ष जारी रख रहा हूँ

मेरे पीछे बातें हो रही है,
आखिरी समय का अंदाजा नही मिल रहा है,
चलते जा रहा हूँ, उदासी मन जगह बनाई हुई है,कुंच मेरे साथी बन रहे है

दोस्तों का साथ छोड़ रहा हु,उनसे में छूट रहा हु क्योंकि में नया कुछ करने की सोच रहा हूँ।
 दुनिया को छोड़ रहा हूँ, एक अलग युग से हटते जा रहा हूँ।
             
                                                                       -अक्षत मिश्रा

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