गुम हो गयी सभी शिराफत 


जो थी मेरे पास मेरी मुस्कराहट 
जिया करता था चैन से,
हुआ करते थे जो मेरे,
 गुम हो गयी सभी शिराफते

परेशानियों से हार न माना
पर कुछ ऐसा हुआ कि परेशानियों से बड़ी लगने लगी,
लोगों से विश्वास नही जगा पाया
पता नही किस बोझ पर में ढलता गया कि क्या हुआ कि
गूम हो गयी सभी शिराफत।

सोचा करता था लोगों की मद्त करना,पर क्या पता था कि वही मेरे साथ नही है,
क्या पता था कि जिसके के साथ जैसा बनूँगा वहीं ऐसा कुछ मृत अवस्था देगा
और क्या पता था कि ऐसा होगा
दिन ढलता गया अकेला होता गया
 क्या पता था जीवन तो मुर्दा भी जी लेता है, जीवन तो जी लूंगा पर जिंदगी की रीढ़ खत्म हो गई।
गुम होती गयी सभी शिराफत।
मेरी न चला पाया, लोगों ने मुझे चलाया,धोके में जिया लेकिन सपनो में नहीं
रात भर बीत जाती सोये बिन सभी खत्म स था
क्योंकि 
  गूम हो गयी सभी शिराफत

अब तो जीने कि आश न थी , सिर्फ विचलित में जीने कि बात हो गयी थी, अकेला हो गया हुँ 
जिंदगी से जीवन हो गया हुँ,
कुंच सिर्फ मेरे साथ रहने लगी थी और
 शिराफत नही थी मेरी
क्योंकि ,
गुम हो गयी  सभी शिराफत।। 

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